आँखों ही आँखों में इशारा हो गया - The Indic Lyrics Database

आँखों ही आँखों में इशारा हो गया

गीतकार - जान निसार अख्तर | गायक - गीता दत्त - रफी | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - सी. आय. डी. | वर्ष - 1956

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आँखों ही आँखों में इशारा हो गया
बैठे बैठे जीने का सहारा हो गया
गाते हो गीत क्यों, दिल पे क्यों हाथ है
खोए हो किस लिए, ऐसी क्या बात है
ये हाल कब से तुम्हारा हो गया
चलते हो झूम के, बदली है चाल भी
नैनो में रंग है, बिखरे है बाल भी
किस दिलरुबा का नज़ारा हो गया
अपना वो ज़ोर है, अपना वो शोर है
हमको है सब पता, दिल में जो चोर है
ये चोर कैसे गँवारा हो गया
कैसा ये प्यार है, कैसा ये नाज़ है
हम भी तो कुछ सुने, हम से क्या राज है
अच्छा तो ये दिल हमारा हो गया