गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - ज़िद्दी | वर्ष - 1964
View in Romanआया न कोई ऐसे यहाँ, छम से न होगा
ओ काम किया हमने वो, रुस्तम से न होगा(रात का समा झूमे चन्द्रमा
तन मोरा नाचे रे जैसे बिजुरिया) -२
रात का समा ...देखो देखो देखो हूँ नदी प्यार की
सुनो सुनो सुनो बाँधे नैना बँधी
मैं अलबेली मान लो बड़ी ज़िद्दी -२
माने मुझको जहाँ
रात का समा...नाचूँ नाचूँ नाचूँ मोरनी बाग की
डोलूँ डोलूँ डोलूँ हिरणिया मदभरी
घूँगर बाजे छ्मा-छम -२
रात का समा...धीरे धीरे धीरे जीत मेरी हुई
हौले हौले हौले हार तेरी हुई
(तेरी तरह जा रे जा बहुत देखे -२
मुझसा कोई कहाँ
रात का समा...