मैं ये सोचकर उसके दर से उठा था - The Indic Lyrics Database

मैं ये सोचकर उसके दर से उठा था

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - हकीकत | वर्ष - 1964

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मैं ये सोचकर उसके दर से उठा था
कि वो रोक लेगी मना लेगी मुझको
हवाओं में लहराता आता था दामन
कि दामन पकड़कर बिठा लेगी मुझको
कदम ऐसे अंदाज़ से उठ रहे थे
कि आवाज़ देकर बुला लेगी मुझको
मगर उसने रोका ना उसने मनाया
ना दामन ही पकड़ा ना मुझको बिठाया
ना आवाज़ ही दी ना वापस बुलाया
मैं आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता ही आया
यहाँ तक के उससे जुदा हो गया मैं
यहाँ तक के उससे जुदा हो गया मैं
जुदा हो गया मैं
जुदा हो गया मैं
जुदा हो गया मैं