अपने कोठे मैं खड़ी - The Indic Lyrics Database

अपने कोठे मैं खड़ी

गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - मुनव्वर सुल्ताना, धनीराम | संगीत - पं अमरनाथ | फ़िल्म - धमकी | वर्ष - 1945

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म्स:अपने कोठे मैं खड़ी
खिली चन्दनी रात, बेदर्दी आजा रे
बेदर्दी आजा रे, कर ले दो दो बात
बेदर्दी आजा रेद्र:अपने कोठे मैं ख्ड़ा
सोच रहा ये बात, पड़ोसन जाग रही
पड़ोसन जाग रही
जाग रही कमज़ात, इसे समझा रे
म्स:बेदर्दी आजा रेम्स:अपनी उमरिया खा के बुढ़िया
काहे हमें सताए रे, अपनी उमरिया
द्र:खिड़्की के पट खोल के बैठे
कौन इसे समझाए रे, खिड़्की के पट
म्स:हाथ जोड़ कर कह दो उन से
बीती जाए रात
बेदर्दी आजा रे ...द्र:दो दिलोन को की दादी बन के
दुनिया ने मुँह फेरा रे, दो दिलों की
म्स:अब तो बालम तुम भी मानो
ये जग रैन बसेरा रे, अब तो बालम
मन का पन्छी बोल रहा
कोई करे प्यार की बात
बेदर्दी आजा रे ...