गरिबोन का पसीना बह रह हैं - The Indic Lyrics Database

गरिबोन का पसीना बह रह हैं

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - नया आदमी | वर्ष - 1956

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गरीबों का पसीना बह रहा है -२
ये पानी बहते-बहते कह रहा है -२
कभी वो दिन भी आएगा ये पानी रंग लाएगा -२
गरीबों का पसीना ...ये बूंदें देख लेना एक दिन तूफ़ान लाएँगी
ज़मीं तो है ज़मीं ये आसमाँ को भी हिलाएँगी
गरीबों के घरों तक चल के खुद भगवान आएगा
ये पानी रंग लाएगा ...सितम का हद से बढ़ जाना तबाही की निशानी है
बदलते हैं सभी के दिन पुरानी ये कहानी है
ज़माना एक दिन गिरते हुओं को उठाएगा
ये पानी रंग लाएगा ...अगर जल कर किसी मजबूर ने फ़रियाद कर डाली
तो क़ुदरत के ख़ज़ाने देखना हो जाएँगे खाली
ज़मीं फट जाएगी सूरज का गोला टूट जाएगा
कभी वो दिन भी आएगा ...