लोग मुझे पागल कहते हैं गलियां पुरुष बाजारों पुरुष - The Indic Lyrics Database

लोग मुझे पागल कहते हैं गलियां पुरुष बाजारों पुरुष

गीतकार - नक्श लायलपुरी | गायक - आशा भोंसले | संगीत - खैय्याम | फ़िल्म - आशा और खय्याम (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1997

View in Roman

लोग मुझे पागल कहते हैं गलियों में बाज़ारों में
मैंने प्यार किया है मुझको चुनवा दो दीवारों मेंहर पनघट पर मेरे फ़साने चौपालों में ज़िक्र मेरा
मेरी ही बातें होती हैं बस्ती में चौबारों मेंदुनिया वालो कुछ तो मुझको मेरी वफ़ा की दाद मिले
मैंने दिल के फूल के खिलाये शोलों में अंगारों मेंगीत है या आहों का धुवाँ है नग़मा है या दिल की तड़प
इतना दर्द कहाँ से आया साज़ों की झंकारों में