चूड़ी खनकाई रे बोलो कैसा लगता हैं - The Indic Lyrics Database

चूड़ी खनकाई रे बोलो कैसा लगता हैं

गीतकार - सुधाकर शर्मा | गायक - सहगान, अलका याज्ञनिक, उदित नारायण | संगीत - हिमेश रेशमिया | फ़िल्म - ये है जलवा | वर्ष - 2002

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चूड़ी खनकाई रे
चूड़ी
बोलो कैसा लगता है
मेहंदी रचाई रे हां मेहंदी रचाई रे
बोलो कैसा लगता है
तेरी चूड़ियों का रंग अच्छा लगता है
तेरी मेहंदी का रंग पक्का लगता है
लाखों में तू इक सनम हो सच्चा लगता है
हाय सच्चा लगता है
चूड़ी खनकाई रे ...आजा आजा पिया ये सिंगार है किया
तड़पे मेरा जिया इंतज़ार है किया
तेरा ये सिंगार हम चुराएँगे
आज हद से गुज़र जाएँगे
अरे
बिंदिया चमकाई रे बिंदिया
बोलो कैसा लगता है
हो मेहंदी रचाई रे ...
तेरी बिंदिया का रंग अच्छा लगता है
तेरी मेहंदी का रंग ...
लाखों में तू इक ...
चूड़ी खनकाई रे ...तेरी अंग्ड़ाईयाँ उसपे तन्हाईयाँ
लाई नज़दीकियाँ मिट गईं दूरियाँ
तेरा ये सिंदूर है नसीब अपना
पूरा किया रब ने मेरा सपना
अरे
चुनरी लहराई रे चुनरी
बोलो कैसा लगता है
हो मेहंदी रचाई रे ...
तेरी चुनरी का रंग अच्छा लगता है
तेरी मेहंदी का रंग ...
लाखों में तू इक ...
चूड़ी खनकाई रे ...