देखो क़सम से क़सम से - The Indic Lyrics Database

देखो क़सम से क़सम से

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - तुमसा नहीं देखा | वर्ष - 1950

View in Roman

देखो क़सम से क़सम से
कहते हैं तुमसे हाँ
तुम भी जलोगे हाथ मलोगे
रुठ के हमसे हाँ

रात है दीवानी
मस्त है फ़िज़ाएं
चांदनी सुहानी
सर्द है हवाएं
तुम भी अकेले हम भी अकेले
कहते हैं तुमसे हाँ
तुम भी जलोगे हाथ मलोगे
रुठ के हमसे हाँ

क्या लगाई तुमने
ये क़सम क़सम से
लो ठहर गये हम
कुछ कहो भी हम से
तनके न चलिये बनके न चलिये
कहते हैं तुमसे हाँ
तुम भी जलोगे हाथ मलोगे
रुठ के हमसे हाँ
हाय