अपनी तो हर आह एक तूफान है - The Indic Lyrics Database

अपनी तो हर आह एक तूफान है

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - काला बाजार | वर्ष - 1960

View in Roman

अपनी तो हर आह एक तूफ़ान है
क्या करे वो जान कर अनजान है
ऊपरवाला जान कर अनजान है
अब तो हँस के अपनी भी किस्मत को चमका दे
कानों में कुछ कह दे जो इस दिल को बहला दे
ये भी मुश्किल है तो क्या आसान है
सर पे मेरे तू जो अपना हाथ ही रख दे
फिर तो भटके राही को मिल जाएंगे रस्ते
दिल की बस्ती बिन तेरे वीरान है
दिल ही तो है इसने शायद भूल भी की है
ज़िन्दगी है भूलकर ही राह मिलती है
माफ़ कर बन्दा भी एक इंसान है