दग़ा दग़ा वै वै वै - The Indic Lyrics Database

दग़ा दग़ा वै वै वै

गीतकार - मजरूह | गायक - लता | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - काली टोपी लाल रूमाल | वर्ष - 1959

View in Roman

दग़ा दग़ा वै वै वै
दग़ा दग़ा वै वै वै
हो गई तुमसे उल्फ़त हो गई)-2
दग़ा दग़ा वै वै वै

यूँ ही राहों में खड़े हैं तेरा क्या लेते हैं
देख लेते हैं जलन दिल की बुझा लेते हैं
आए हैं दूर से हम
तेरे मिलने को सनम
चेकुनम, चेकुनम, चेकुनम

दग़ा दग़ा वै वै वै ...

जान जलती है नज़र ऐसे चुराया न करो
हो ग़रीबों के दुखे दिल को दुकाया न करो
आए हैं दूर से हम
तेरे मिलने को सनम
चेकुनम, चेकुनम, चेकुनम

दग़ा दग़ा वै वै वै ...

हम क़रीब आते हैं तुम और जुदा होते हो
लो चले जाते हैं काहे को ख़फ़ा होते हो
अब नहीं आएँगे हम
तेरे मिलने को सनम
चेकुनम, चेकुनम, चेकुनम$