अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं - The Indic Lyrics Database

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं

गीतकार - निदा फाजली | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - तलत अज़ीज़ | फ़िल्म - मिराज | वर्ष - 1996

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अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं
वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियोंसे
किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं
चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब
सोचते रहते हैं किस राहगुज़र के हम हैं