या इलाही हो मुबारक तुझको यह तेरा जहाँ - The Indic Lyrics Database

या इलाही हो मुबारक तुझको यह तेरा जहाँ

गीतकार - शकील | गायक - आशा: | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - लैला मजनूं | वर्ष - 1953

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या इलाही हो मुबारक तुझको यह तेरा जहाँ
दिल की बरबादी पे बजती हैं यहाँ शहनाइयाँ
मैं वह बुलबुल हूँ कि जिसका आशियाना लुट गया
आरज़ूएं मिट गईं दिल का ख़ज़ाना लुट गया
फ़सल-ए-ग़ुल आने से पहले आ गई फ़सल-ए-ख़िज़ाँ
हाय किस मंज़िल पे लाई मेरी बरबादी मुझे
चाँद सूरज कह रहे हैं आज फ़रियादी मुझे
बेबसी पर मातम कर रहा है आसमाँ$