वफ़ा की लाज रह जाये गी - The Indic Lyrics Database

वफ़ा की लाज रह जाये गी

गीतकार - जान निसार अख्तर | गायक - गीता | संगीत - बसंत प्रकाश | फ़िल्म - अनारकली | वर्ष - 1953

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वफ़ा की लाज रह जाये गी आजा तेरे आने से ए ए ए ए ए
मोहब्बत की नज़र नीची ना हो जाये ज़माने से
आ जान-ए-वफ़ा आ
कहते हैं किसे प्यार ज़माने को दिखा दे
दुनिया की नज़र इश्क़ के क़दमों पे झुका दे
क़दमों पे झुका दे
आ जान-ए-वफ़ा आ
आजा ये मेरा नाज़ उठाना ही पड़ेगा
जब प्यार किया है तो निभाना ही पड़ेगा
आ दिल के लिये जान की बाज़ी भी लगा दे
दुनिया की नज़र इश्क़ के क़दमों पे झुका दे
क़दमों पे झुका दे
आ जान-ए-वफ़ा आ
आ प्यार के तूफ़ान में लहरा के चला आ
हर क़ैद को हर रस्म को ठुकरा के चला आ
आशिक़ है तो हर चीज़ मुहब्बत पे लुटा दे
दुनिया की नज़र इश्क़ के क़दमों पे झुका दे
क़दमों पे झुका दे
आ जान-ए-वफ़ा आ
दीवाना मुहब्बत का कहीं डर के रुका है
दरबार में शाहों के कभी इश्क़ झुका है
ख़ुद इश्क़ के दरबार में शाहों को झुका दे
आ जान-ए-वफ़ा आ
शाहों को झुका दे
आ जान-ए-वफ़ा आ$