सावन बरसे तरसे दिल - The Indic Lyrics Database

सावन बरसे तरसे दिल

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - साधना सरगम, हरिहरन | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - | वर्ष - 1998

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ह: सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में
सा: सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में

सा: ( इक मुहब्बत का दीवाना ढूंढता सा फिरे
कोई चाहत का नज़राना दिलरुबा के लिए ) -२
छम छम चले पागल पवन आए मज़ा भीगें बलम
भीगें बलम फिसलें कदम बरखा बहार में

ह: सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में( इक हसीना इधर देखो कैसी बेचैन है
रास्ते पर लगे कैसे उसके दो नैन हैं ) -२
सच पूछिये तो मेरे यार
दोनों के दिल बेइख़्तियार
बेइख़्तियार हैं पहली बार पहली बहार मेंसा: सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में
ह: सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में