ठंडी ठंडी चले रे हवा - The Indic Lyrics Database

ठंडी ठंडी चले रे हवा

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - लता | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - गेस्ट हाउस | वर्ष - 1959

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ठंडी ठंडी चले रे हवा ओ सजना जियरा मेरा लहराए
उड़-उड़ जाए सर से चुनरिया मुख से निकले हाय रे
ठंडी ठंडी चले रे हवा
कोई रसिया कोई छलिया मेरे मन को भाने लगा
इस मिलन में इस लगन में इक मज़ा सा आने लगा
आगे-आगे लगन मोरे मन की जाने क्या रंग लाए रे
ठंडी ठंडी चले रे हवा
लट जो उलझी फिर न सुलझी आ सजन सुलझा दे ज़रा
मैं न जानूँ भेद मन के तू ही अब समझा दे ज़रा
यूँ तो लागे नज़र तोरी प्यारी फिर भी क्यों तड़पाए रे
ठंडी ठंडी चले रे हवा$