सांसो पुरुष दर्द दर्द पुरुष संसेन - The Indic Lyrics Database

सांसो पुरुष दर्द दर्द पुरुष संसेन

गीतकार - सूर्य भानु गुप्ता | गायक - माधुरी पुरंदरे | संगीत - अजीत वर्मन | फ़िल्म - आक्रोश | वर्ष - 1980

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साँसों में दर्द, दर्द में साँसें बसी हुई (२)
हम में कोई, किसी में समाए हुए हैं हम
होकर भी, अपने आप को पाए हुए हैं हम
हम में कोई, किसी में समाए हुए हैं हम
साँसों में दर्द, दर्द में साँसें बसी हुईलेते हैं अब साँस भी इल्ज़ाम कि तरहा (२)
घर ऐसे बस्तियों में बसाए हुए हैं हम
हम में कोई ... बसी हुईछोडा है हम को लाके मोहब्बत ने ये कहाँ (२)
अपने लिए भी जैसे पराए हुए हैं हम
हम में कोई ... बसी हुईआया है पेश हम से ज़माना कुछ इस तरहा (२)
अपने गले से खुद को लगाए हुए हैं हम
हम में कोई ... बसी हुई