राही मनवा दुःख की चिंता क्यो सताती है - The Indic Lyrics Database

राही मनवा दुःख की चिंता क्यो सताती है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - दोस्ती | वर्ष - 1964

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दुःख हो या सुख
जब सदा संग रहे ना कोए
फिर दुःख को अपनाईये
के जाये तो दुःख ना होए
राही मनवा दुःख की चिंता क्यो सताती है
दुःख तो अपना साथी है
सुख है एक छाँव ढलती आती है, जाती है
दुःख तो अपना साथी है
दूर है मंज़िल दूर सही
प्यार हमारा क्या कम है
पग में काँटे लाख सही
पर ये सहारा क्या कम है
हमराह तेरे कोई अपना तो है
सुख है एक छाँव ढलती आती है, जाती है
दुःख हो कोई तब जलते हैं
पथ के दीप निगाहों में
इतनी बड़ी इस दुनिया की
लंबी अकेली राहों में
हमराह तेरे कोई अपना तो है
सुख है एक छाँव ढलती आती है, जाती है