जीते हैं चल - The Indic Lyrics Database

जीते हैं चल

गीतकार - प्रसून जोशी | गायक - कविता सेठ | संगीत - विशाल खुराना | फ़िल्म - नीरजा | वर्ष - 2016

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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
कहता ये पल
खुद से निकल
जीते हैं चल
जीते हैं चल
जीते हैं चल
ग़म मुसाफिर था जाने दे
धूप आँगन में आने दे
जीते हैं चल
जीते हैं चल
जीते हैं चल
तलवों के नीचे है ठंडी सी एक धरती
कहती है आजा दौड़ेंगे
यादों के बक्सों में ज़िंदा सी खुश्बू है
कहती है सब पीछे छोड़ेंगे
उंगलियों से कल की रेत बहने दे
आज और अभी में खुद को रहने दे
कहता ये पल, खुद से निकल
जीते हैं चल
जीते हैं चल
जीते हैं चल
एक टुकड़ा हँसी चख ले
एक डली ज़िन्दगी रख ले
जीते हैं चल
जीते हैं चल
जीते हैं चल
हिचकी रुक जाने दे
सिसकी थम जाने दे
इस पल की ये गुज़ारिश है
मरना क्यों जी लेना
बूंदो को पी लेना
तेरे ही सपनो को बारिश है
पानियो को रस्ते तू बनाने दे
रोशनी के पीछे खुद को जाने दे
कहता ये पल, खुद से निकल
जीते हैं चल
जीते हैं चल
जीते हैं चल
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्