उनसे बिछड़ कर ये जीना भी ऐ दिल कोई जीना है - The Indic Lyrics Database

उनसे बिछड़ कर ये जीना भी ऐ दिल कोई जीना है

गीतकार - कतील शिफाई | गायक - जुबैदा खानुम | संगीत - खुर्शीद अनवर | फ़िल्म - ज़हर-ए-इश्क (पाकिस्तानी-फ़िल्म) | वर्ष - 1958

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उनसे बिछड़ कर ये जीना भी ऐ दिल कोई जीना है
सावन हो या रुत भादों की ज़ेहर ग़मों का पीना है
उनसे बिछड़ कर ये जीना भी ऐ दिल कोई जीना हैपल भर का सुख पा कर हमने उम्र गुज़ारी रो रो कर -२
क़िस्मत ने इतना ना दिया था जितना हमसो छीना है
उनसे बिछड़ कर ये जीना भी ऐ दिल कोई जीना हैआप लगाई है सीने में हमने आग जुदाई की -२
जल जल कर हम राख हुये हैं फिर भी न वो तो सीना?? है
उनसे बिछड़ कर ये जीना भी ऐ दिल कोई जीना है
सावन हो या रुत भादों की ज़ेहर ग़मों का पीना है