आई खुशी की ये रात हमेशा तुमको चाहा - The Indic Lyrics Database

आई खुशी की ये रात हमेशा तुमको चाहा

गीतकार - नुसरत बद्री | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण | संगीत - इस्माइल दरबार | फ़िल्म - देवदास | वर्ष - 2002

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आई ख़ुशी की ये रात आई सजधज के बारात है आई
धीरे धीरे गम का सागर थम गया आँखों में आकर
गूँज उठी है जो शहनाई तो आँखों ने ये बात बताईहमेशा तुमको चाहा और चाहा और चाहा चाहा चाहा
हमेशा तुमको चाहा और चाहा कुछ भी नहीं
तुम्हे दिल ने है पूजा पूजा पूजा और पूजा कुछ भी नहीं
ना ना नहीं ना ना नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं
और कुछ भी नहीं ओ कुछ भी नहींखुशियों में भी छाई उदासी
दर्द की छाया में वो लिपटी
कहने पिया से बस ये आई
जो दाग तुम ने मुझ को दिया उस दाग से मेरा चेहरा खिला
रखूँगी इस को निशानी बना के
माथे पे इस को हमेशा सजा कर
ओ प्रीतम ओ प्रीतम बिन तेरे इस जीवन में
कुछ भी नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं
ओ कुछ भी नहींबीते लम्हों की यादें ले कर बोझल कदमों से वो चल कर
दिल भी रोया और आँख भर आई
मन से ये आवाज़ है आईवो बचपन की यादें आ वो रिशते वो नाते
वो सावन के झूले आ वो हँसना वो हँसाना
वो रूठ के फिर मनाना
वो हर एक पल मैं दिल में समाए
दिये में जलाए ले जा रही हूँ
मैं ले जा रही हूँ मैं ले जा रही हूँ
ओ प्रीतम ...हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हे हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हमेशा तुमको चाहा और चाहा चाहा चाहा
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हे हुन हुना हुन हुना हुन हुना
और चाहा चाहा चाहा
हाँ चाहा चाहा चाहा
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हे हुन हुना हुन हुना हुन हुना
बस चाहा चाहा चाहा
हाँ चाहा चाहा चाहा
हाँ चाहा चाहा चाहा और चाहा कुछ भी नहीं