शरब चिइज़ है बुरी शराब पिना छोड दे - The Indic Lyrics Database

शरब चिइज़ है बुरी शराब पिना छोड दे

गीतकार - अंजान | गायक - कविता कृष्णमूर्ति | संगीत - बप्पी लाहिड़ी | फ़िल्म - आग का गोला | वर्ष - 1989

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शराब चीज़ है बुरी शराब पीना छोड़ दे
नशा बुरा है प्यार का यह जाम सारे तोड़ दे
बिना लिए ही फूल ले नशे में आज प्यार केधड़के दिल ये बार बार दिल को तेरा इन्तज़ार
हर तमन्ना बेकरार थी
जाने तू ना मेरा हाल कुछ तो कर मेरा ख्याल
प्यास ये बुझा दे प्यार कीआ गले लगा के बाहों में तुझे छिपा के
होँठों से चुरा के हँसियाँ
नर्मियां मेरे बदन की गर्मियां ये प्यारे तन की
हे मेरे शराब है कहां आजाटल न जाए प्यासी रात कह दे दिल दे दिल की बात
आग दिल की दिल में क्यों रहे
प्यास तेरी मैं बुझा दूं दर्द तेरे मैं मिटा दूं
मेरे होते हम ये क्यों सहें