घर से निकलते ही - The Indic Lyrics Database

घर से निकलते ही

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - उदित नारायण | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - पापा कहते हैं | वर्ष - 1996

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घर से निकलते ही
कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
कल सुबह देखा तो
बाल बनाती वो
खिड़की में आई नज़र
मासूम चेहरा, नीची निग़ाहें
भोली सी लड़की, भोली अदाएं
ना अप्सरा है, ना वो परी है
लेकिन ये उसकी जादूगरी है
दीवाना कर दे वो, एक रंग भर दे वो
शर्मा के देखे जिधर
करता हूँ उसके घर के मैं फेरे
हँसने लगे हैं अब दोस्त मेरे
सच कह रहा हूँ उसकी कसम है
मैं फिर भी खुश हूँ बस एक ग़म है
जिसे प्यार करता हूँ मैं जिसपे मरता हूँ
उसको नहीं है ख़बर
लड़की है जैसे कोई पहेली
कल जो मिली मुझको उसकी सहेली
मैंने कहा उसको जा के ये कहना
अच्छा नहीं है यूँ दूर रहना
कल शाम निकले वो घर से टहलने को
मिलना जो चाहे अगर