मटरगश्ती - The Indic Lyrics Database

मटरगश्ती

गीतकार - इरशाद कामिल | गायक - मोहित चौहान | संगीत - ए. आर. रहमान | फ़िल्म - तमाशा | वर्ष - 2015

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मटरगश्ती खुली सड़क में 
तगड़ी तड़क भड़क में 
ओले गिरे सुलगते से सुलगते से सड़क में 
छतरी ना थी बगल में 
आया ही ना अकल में 
के भागे हम या भीगे हम अकड़ में 
तो सोचा फिर
गीला हुआ है वो सुखाना हो हो हो
चाहे ज़नानाया मर्दाना हो हो हो
अटैचमेंट का नया पासा 
फिर दे गयी झांसा 
ऐवें मुझे फंसा
चिरकुट ज़िन्दगी यूँ ना 
टंग टंग टंग.. 


तू ही है वो 
जिसने खेंची मेरी धोती, धोती खेंची 
अब तू ढूंढे कहाँ बंदे
ना मैं काबा, काशी 
मैं ट्विटर पे हूँ 
डीपी मेरी देखो 
हो ओ हो

सुन रे सिन बेलिया
दिल ने धोखा दिया 
आँखें मिली तुमसे नाज़नी 
मेरे होश-ओ-हवास खो गए 
हो दिल का भंवर बोले सुन साथिया
छुप ना दुपट्टे में तू ओ छलिया 
प्रेम पुजारी के दिल का बयां 
होता रहा, रोता रहा प्रिये 
तो फिर टंग टंग टंग टुंग