मैंने क्या जी की गल है कोई नहीं - The Indic Lyrics Database

मैंने क्या जी की गल है कोई नहीं

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - आवारा | वर्ष - 1973

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मैंने क्या जी
कोई नहीं जी
की गाल है
ाजी की गाल है
की गाल है
ाजी की गाल है
तेरी आँखों से लगता है
तू कल रात को सोई नहीं
की गाल है
ाजी की गाल है
नीद है क्या कौन सी चीज़
जो मैंने तेरे प्यार में कोई नहीं
की गाल है
ाजी की गाल है

गल दा मतलब
गल दा मतलब बात बिच
न बात नहीं कोई ऐसी
दिल की आग बुझाए जो
बरसात नहीं कोई ऐसी
जी भर के हम मिले हो
जब मुलाक़ात नहीं कोई ऐसी
जब मैं सारी रात न जागी
रात नहीं कोई असीसी
अरे ये तो मेरी हिम्मत है
ये तो मेरी हिम्मत है

मई तदपि जागी रोइ नहीं
की गाल है
ाजी की गाल है
की गाल है
ाजी की गाल है

इक हम आज अकेले
इक हम आज अकेले उस पे
मौसम ये मस्ताना
जाग उठा दिल में
शायद दर्द कोई पुराण
तू जो कुछ भी आज कहेगी
होगा इक बहाना
मैं तुझको छेड़ूँगा
वरना छोड़ दे शरमाना
देखने सुनने वाला दूजा
और यहाँ पर कोई नहीं
ोये की गाल है
ए की गाल है

तेरी आँखों से लगता है
तू कल रात को सोई नहीं
नीद है क्या कौन सी चीज़
जो मैंने तेरे प्यार में कोई नहीं
की गाल है
ाजी की गाल है