चाँद आया है ज़मीं पे आज गरबे की रात मन - The Indic Lyrics Database

चाँद आया है ज़मीं पे आज गरबे की रात मन

गीतकार - महबूब | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - दिल ही दिल में | वर्ष - 1999

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चाँद आया है ज़मीं पे आज गरबे की रात मेंछुपा है वो यहीं-कहीं पे आज गरबे की रात मेंअरे ढूँढो-ढूँढो रे शरमा रहा है वोकुछ तो बात है जो आया वोअरे ढूँढो-ढूँढो रे शर्मा रहा है वो
कुछ तो बात है जो आया वोमौक़ा है ये कहने-सुनने कामौक़ा निकलने ना दोमौक़ा है ये कहने सुनने का
मौक़ा निकलने ना दो
चाँद आया है ज़मीं पे आज गरबे की रात में
छुपा है वो यहीं-कहीं पे आज गरबे की रात मेंचुप तुम्हारे उन लबों पे भी हैचुप हमारे इन लबों पे भी हैबोलती हैं ये निगाहें मेरे यार मेरे यारचुप तुम्हारे उन लबों पे भी है
चुप हमारे इन लबों पे भी है
बोलती हैं ये निगाहें मेरे यार मेरे यारहो हसीं हो सनम तुम चाँद से भी ज्यादाहो हसीं हो सनम तुम चाँद से भी ज्यादा
गहरी हैं ज़ुल्फ़ें जैसे रात कोईहो तारीफ़ें करो ना इतनी भी ज्यादारुकें ना शरम से ये साँसें मेरीजो दिल में है बोलूँ मैंबस तुम को ही देखूँ मैंजीवन यूँ ही बिता दूँ ओह हो मेरे यार मेरे यारमेरे यार मेरे यारचाँद आया है ज़मीं पे आज गरबे की रात में
छुपा है वो यहीं कहीं पे आज गरबे की रात में
अरे ढूँढो-ढूँढो रे शरमा रहा है वो
कुछ तो बात है जो आया वो
अरे ढूँढो-ढूँढो रे शरमा रहा है वो
( मौक़ है ये कहने सुनने का
मौक़ा निकलने ना दो ) -२प्यार सा नहीं जहाँ में कोईयार सा नहीं जहाँ में कोईदोनों के बिना यहाँ पे जीना क्या मेरे यारहो प्यार सा नहीं जहाँ में कोई
यार सा नहीं जहाँ में कोई
दोनों के बिना यहाँ पे जीना क्या मेरे यारहो पहली नज़र में लूटा था दिल कोजादूगर सलाम मेर तुमकोहूँ इतनी मोहब्बत दोगे जो हमकोकम ही पड़ेगी ज़िंदगी हमकोजनमों का नाता है येप्यार-वफ़ा का रिश्ता है येटूटे ना ये बंधन देखो हो मेरे यार मेरे यारमेरे यार मेरे यारक्या-क्या इरादे होने लगे हैं इस गरबे की रात मेंइस गरबे की रात मेंक़समे-वादे होने लगे हैं इस गरबे की रात मेंइस गरबे की रात मेंवाह रे वाह क्या आई है ये रात रेछिड़ी है मिलन की कोई बात रेहम भी तो हैं तुम दिलवालों के ही साथ रेहम भी तो हैं तुम दिलवालों के ही साथ रे
हो
हम भी तो हैं तुम दिलवालों के ही साथ रे -४