जुल्फ के फंदे में फंस गई जान - The Indic Lyrics Database

जुल्फ के फंदे में फंस गई जान

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - मुजरिम | वर्ष - 1958

View in Roman

ज़ुल्फ़ के फंदे में फँस गई जाँ
मर गया मैं तो ओ मेरी माँ -२वाह मेरे दाता तेरे दर से अजब तक़दीर मिली
ज़ुल्फ़ की हसरत दिल को हुई तो ज़ंजीर मिली
ऊपर वाले ख़ूब निकाले इस दिल के अरमाँ
ज़ुल्फ़ के फंदे में ...प्यार कुछ बूझे नहीं भला-बुरा सूझे नहीं
दिन हो के रैन
बड़े बूढ़े सच ही तो कह गए
होते नहीं प्यार के नैन
प्यार था अंधा तभी तो ये बंदा
जेल का है मेहमाँ
ज़ुल्फ़ के फंदे में ...इश्क़ की दुनिया अजब है कहा था मजरूह ने कल
कुछ तो बनेगा बेटा चकले में घूमों चाहे ताजमहल
लाख तू भाँपे मंतर जापे
इश्क़ नहीं आसाँ
ज़ुल्फ़ के फंदे में ...