गोरी ओढ़ के मालामाल निकली के दिल मेरा मल मल गई - The Indic Lyrics Database

गोरी ओढ़ के मालामाल निकली के दिल मेरा मल मल गई

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - काली टोपी लाल रुमाल | वर्ष - 1959

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र : गोरी ओढ़ के मलमल निकली हाय
गोरी ओढ़ के मलमल निकली के दिल मेरा मल-मल गई
अरे रे रे के दिल मेरा मल मल गई
देखो देखो के दिल मेरा मल मल गई
ल : ये किसकी नजरिया मचली हो
ये किसकी नजरिया मचली चुनर मेरी ढल ढल गई
अरे रामा चुनर मेरी ढल ढल गई
देखो देखो चुनर मेरी ढल ढल गईओ पग उलझे मेरा दिल धड़के -२
र : नस नस में शोला भड़के -२
ल : बल खाए कमरिया मोरी हो
बल खाए कमरिया मोरी तो काहे जी बेकल पड़ गए
अरे रामा तो काहे जी बेकल पड़ गए
देखो देखो तो काहे जी बेकल पड़ गए हो जी
र : इक दिल ही बेकल नहीं गोरी हाय
इक दिल ही बेकल नहीं गोरी के पगड़ी में बल पड़ गए
अरे रे के पगड़ी में बल पड़ गए
ओ देखो के पगड़ी में बल पड़ गए हो जील : हो छोड़ मोहे तेरा हाथ जले -२
र : अरे वाह अब तो चाहे तलवार चले -२
ल : हाय छोड़ दे मेरा रास्ता हो
हाय छोड़ दे मेरा रास्ता के गाली दूंगी चुन चुन के
अरे रामा के गाली दूंगी चुन चुन के
देखो देखो के गाली दूंगी चुन चुन के हो जी
र : रानी चलो न बजाती बिछुआ हो
रानी चलो न बजाती बिछुआ ज़हर चड़े सुन सुन के
अरे रे रे ज़हर चड़े सुन सुन के
देखो देखो ज़हर चड़े सुन सुन के हो जीर : ओ उतरा उतरा रूप है क्यूँ -२
ल : बोलो चढ़ती धूप है क्यूँ -२
र : किन गलियों से होकर आई हो
किन गलियों से होकर आई के मुख तेरा मैला है
अरे रे रे के मुख तेरा मैला है
ओ देखो देखो के मुख तेरा मैला है हो जी
ल : जब से तूने आँख लड़ाई हो
जब से तूने आँख लड़ाई काजर मेरा फैला है
अरे रामा काजर मेरा फैला है
देखो देखो काजर मेरा फैला है हो जी