बॉटल से एक बात चलिए हैं - The Indic Lyrics Database

बॉटल से एक बात चलिए हैं

गीतकार - गुलजार | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - घर | वर्ष - 1978

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आ : ( बोतल से इक बात चली है
काग उड़ा के रात चली है ) -२
हो
तु ड़ु ड़ु तु तु ड़ु ड़ु तु तु ड़ु तु तु -२
र : हो
बोतल से इक बात चली है
आ : तु ड़ु ड़ु
र : काग उड़ा के रात चली हैआ : आज की मय बहुत मीठी है
आज तो आँख मिला के पीना
र : चांद की मिसरी घुल जायेगी
चाँद से होंठ लगा के पीनाआ : हो
तु ड़ु ड़ु तु तु ड़ु ड़ु तु तु ड़ु तु तु -२
र : हो
बोतल से इक बात चली है
काग उड़ा के रात चली है
आ : हो
बोतल से इक बात चली है
काग उड़ा के रात चली हैर : वादों वाली रात आयी है
आज की रात इनकार ना करना
आ : अपने दिन और रात ना पूछो
तुमसे जीना तुमपे मरनातु ड़ु ड़ु तु तु ड़ु ड़ु तु तु ड़ु तु तु -२
र : हो
बोतल से इक बात चली है
आ : तु ड़ु ड़ु
र : काग उड़ा के रात चली है
आ : बोतल से इक बात चली है
काग उड़ा के रात चली है
दो : ल ल ल ल ल