महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई - The Indic Lyrics Database

महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई

गीतकार - आगा बिस्मिली | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - नगमा-ए-दिल (गैर-फ़िल्म) | वर्ष - 1991

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महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई
हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गईउनकी नज़र में कोई जादू ज़ुरूर है
जिस पर पड़ी उसी के जिगर तक उतर गईउस बेवफ़ा की आँख से आँसू छलक पड़े
हसरत भरी निगाह बड़ा काम कर गईउनके जमाल-ए-रुख़ पे उन्हीं का जमाल था
वो चल दिये तो रौनक-ए-शाम-ओ-सहर गईउनको ख़बर करो के है 'बिस्मिल' क़रीब-ए-मर्ग़
वो आयेंगे ज़ुरूर जो उन तक ख़बर गई