गीतकार - नखशाबी | गायक - सुरिंदर कौर | संगीत - खुर्शीद अनवर | फ़िल्म - सिंगार | वर्ष - 1949
View in Romanकौन समझेगा किसे समझाऊँ दिल की बात
ये समझने का फ़साना है ना समझने की बातदिल आने के ढन्ग निराले हैं दिल आने के ढन्ग -२
दिल से मजबूर सब दिलवाले हैं दिल आने के ढन्ग
दिल आने के ढन्ग निराले हैं दिल आने के ढन्ग( कभी अंखियाँ मिलाने पे आता है दिल
कभी अंखियाँ बचाने पे आता है दिल ) -२
वोही अंखियों जिन्हें हमसे मतलब नहीं
उन्हीं अंखियों के हम मतवाले हैं
दिल आने के ढन्ग
दिल आने के ढन्ग निराले हैं दिल आने के ढन्ग( उनको देखा तो दुनिया बदलने लगी
नज़रें बहकीं तबीयत मचलने लगी
दिल की धड़कन इशारों पे चलने लगी ) -२
बड़ी हिम्मत से क़ाबू में रखा है दिल
बड़ी मुश्किल से होश सम्भाले हैं
दिल आने के ढन्ग
दिल आने के ढन्ग निराले हैं दिल आने के ढन्ग