कहो तो आज बोल दू - The Indic Lyrics Database

कहो तो आज बोल दू

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 1977

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कहो तो आज बोल दू
मै सारे भेद खोल दू
के दूल्हे शरमाये
रंग उड़ उड़ जाये
कहो तो आज बोल दू
मै सारे भेद खोल दू
के दूल्हे शरमाये
रंग उड़ उड़ जाये

मुझको मालूम है सब
बंद इसके है अजब
कभी जानके ये इधर
कभी टांके उधर
हर हसीना पे मरे
रूप क्या क्या न बारे
लाख नादाँ लगे
मुझको तो सैतान लगे

कहो तो आज बोल दू
मै सारे भेद खोल दू
के दूल्हे शरमाये
रंग उड़ उड़ जाये

इतना भूखा है के
मुझको आता है तरस
 

इसके मन बाये सभी
जो मिले खाये सभी
चाहे जूथा ही मिले
सबका जूठा ही मिले
ये कहा तक है गिरा
मुँह न खुलवाओ मेरा

कहो तो आज बोल दू
मै सारे भेद खोल दू
के दूल्हे शरमाये
रंग उड़ उड़ जाये

पूछो दुल्हे से जरा
क्यों हैं गुस्से में बड़ा
ऐसी मैंने कही
तीर बनके जो लगी
क्यों जुकी जाये नजर
क्यों पसीने में है तार
इसकी बाते मै सभी
मैं कह देती हु अभी

कहो तो आज बोल दू
मै सारे भेद खोल दू
के दूल्हे शरमाये
रंग उड़ उड़ जाये.