चुप हो जा अमीरों के ये सोने की घड़ी है - The Indic Lyrics Database

चुप हो जा अमीरों के ये सोने की घड़ी है

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - किशोर | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - बंदी | वर्ष - 1957

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चुप हो जा )-2 अमीरों के ये सोने की घड़ी है
तेरे लिए रोने को बहुत उम्र पड़ी है
चुप हो जा ...

रोना ग़रीबों के लिए क़ौमी तराना
मत रो कि मेरी जाँ यह है राग पुराना
अब गुल ना मचा देख वो पुलिस खड़ी है
तेरे लिए रोने को ...

अम्मा तेरी जन्नत में है और जेल में अब्बा
चाचा तो तेरे पहले से ही गोल है डब्बा
देख रहा है ना
क़िस्मत तेरी में लिखा है चूँ-चूँ का मुरब्बा
क्या ख़ूब नज़र राहु-केतु की पड़ी है
तेरे लिए रोने को ...

जब दूध नहीं काम अँगूठे से चला ले
ख़ुद अपना लहू चूस के भूख मिटा ले आ तू भूख मिटा ले
कहते हैं जिसे सब्र अरे चीज़ बड़ी है
तेरे लिए रोने को ...

माँगे से तो कोई तेरा अधिकार न देगा
दुश्मन को कोई ख़ुशी से तलवार न देगा
लेना है जो दुनिया से उसे छीन के ले-ले
नर्मी से तो कौड़ी यह संसार न देगा
हिम्मत से उठा ले यहाँ जो चीज़ पड़ी है
यह तोता यह पिस्तौल काग़ज़ की घड़ी है
यह जमुना के तट श्याम संग राधा खड़ी है देखो
सच यह है कि तक़दीर से तदबीर बड़ी है
तेरे लिए रोने को ...$