दिल में इक लहार सी उठी है अभिय - The Indic Lyrics Database

दिल में इक लहार सी उठी है अभिय

गीतकार - नासिर काज़मी | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - मेहदी हसन और गुलाम अली (गैर फिल्म) | वर्ष - 1994

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चन्द कलियाँ निशात की चुन कर
मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझसे मिल कर उदास रहता हूँदिल में इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभीशोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभीकुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोट भी नई है अभीसो गए लोग उस हवेली के
एक खिड़की मगर खुली है अभीयाद के बे-निशाँ जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही है अभीशहर की बे-चराग़ गलियों में
ज़िंदगी तुझको ढूँढती है अभीभरी दुनिया में दिल नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमीं है अभीवक़्त अच्छा भी आयेगा 'नासिर'
ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी