वो भी अनजान थी यारो मैंने पंगा ले लिया - The Indic Lyrics Database

वो भी अनजान थी यारो मैंने पंगा ले लिया

गीतकार - जहीर आलम | गायक - अल्ताफ राजा | संगीत - मोहम्मद शफ़ी नियाज़ी | फ़िल्म - तुम तो ठहरे परदेसी (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1998

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वो भी अन्जान थी मैं भी अंजान था
उससे वादा न था कुछ इरादा न था
बस यूं ही darlingकह दिया
ओ यारों मैने पंगा ले लियावो भी कुछ वादा यूं ही darling
पहले तो उसने चोटी को झटका दिया
अपनी गर्दन को थोड़ा सा मटका दिया
मैं ये समझा मेरे जाल में फंस गई
देख डाले एक पल में सपने कई
फिर अचानक ही एक हादसा हो गया
जिसके सपनों में मैं थाअ खोया हुआ
उसने देखा इधर और न देखा उधर
और उसी darlingने मेरे गाल पर भरपूर थप्पड़ दिया
यारों मैने पंगा ...confusion
पी रहा था मैं एक दिन beer barमें
लोग खोये थे musicकी झनकार में
एक लड़का शराब इस कदर पी गया
अपने साथी से तकरार करने लगा
मैने समझाया उसे बड़े प्यार से
अरे फ़ायदा क्या है आपस की तकरार से
वो नशे में गले मेरे पड़ने लगा
छोड़ कर वो उसे मुझसे लड़ने लगा
लाल पीला मुझे कर दिया
हाय यारों मैने पंगा ...दूर के एक रिश्ते की बारात में
मेरा जाना हुआ दूल्हे के साथ में
मैने उससे कहा बात ही बात में
शादी वादी मत कर ऐसे हालात में
कुछ ज़रा सोच तो कितनी महंगाई है
वक़्त है भाग जा आगे रुसवाई है
सबको चौंका दिया इतनी सी बात में
खूब पीटा मुझे सारी बारात ने
भागने का न मौक़ा दिया
हाय यारों मैने पंगा ...एक नुमाइश का चर्चा बहुत आम था
शहर की हर गली में बड़ा नाम था
उसमें कुश्ती का एक programथा
हर विजेता को दो लाख इनाम था
नोट की चाह में एक पहलवान था
मैने कुश्ती लड़ी इतनी घमासान से
दम उखड़ने लगा पसलियां बोल उठीं
वो मुंह मेरा तोड़ के रख दिया
उफ़ यारों मैने पंगा ...