ग़म की अँधेरी रात में - The Indic Lyrics Database

ग़म की अँधेरी रात में

गीतकार - जां निसार अख्तर | गायक - मोहम्मद रफी - तलत मेहमूद | संगीत - सी. अर्जुन | फ़िल्म - सुशीला | वर्ष - 1963

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ग़म की अँधेरी रात में दिल को ना बेक़रार कर
सुबह ज़रूर आएगी सुबह का इंतज़ार कर
दर्द है सारी ज़िन्दगी जिसका कोई सिला नहीं
दिल को फरेब दीजिए और ये हौसला नहीं
खुद से तो बदगुमाँ न हो खुद पे तो ऐतबार कर
खुद ही तड़प के रह गए
दिल की सदा से क्या मिला
आग से खलते रहे हमको वफ़ा से क्या मिला
दिल की लगी बुझा न दे
दिल की लगी से प्यार कर
जिस से ना दिल बहल सके ऐसी खबर से फायदा
रात अभी ढली कहाँ ख़्वाब-ए-सहर से फायदा
फ़स्ल-ए-बहार आएगी दौर-ए-ख़िज़ाँ गुज़ार कर