चंदा चंदानी में जब चमके - The Indic Lyrics Database

चंदा चंदानी में जब चमके

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - गीता दत्त, सहगान | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - मुजरिम | वर्ष - 1958

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गी: ( चंदा चाँदनी में जब चमके
क्या हो आ मिले जो कोई छम से
सोचो पूछते हो क्या हमसे ) -२पहले तो मचलेंगी धीरे धीरे मिल के निगाहें
को: पहले तो मचलेंगी धीरे धीरे मिल के निगाहें
गी: फिर कहीं चल देंगी बाँहों से उलझ कर बाँहें
को: फिर कहीं चल देंगी बाँहों से उलझ कर बाँहें
गी: दिल की बातें दिल वाला ही समझे -२
चंदा चाँदनी में जब चमके
क्या हो आ मिले जो कोई छम से
सोचो पूछते हो क्या हमसेखिली खिली चाँदनी में सुनेंगे हवाओं के तराने
को: खिली खिली चाँदनी में सुनेंगे हवाओं के तराने
गी: कभी चुप रहेंगे तो कभी कुछ कहेंगे दीवाने
को: कभी चुप रहेंगे तो कभी कुछ कहेंगे दीवाने
गी: दिल की बातें दिल वाला ही समझे -२
चंदा चाँदनी में जब चमके
क्या हो आ मिले जो कोई छम से
सोचो पूछते हो क्या हमसेखुली खुली आँखों से भी होंगे मतवाले सोये सोये
को: खुली खुली आँखों से भी होंगे मतवाले सोये सोये
गी: दूर पड़े होंगे कहीं सपनों में यूँही खोये खोये
को: दूर पड़े होंगे कहीं सपनों में यूँही खोये खोये
गी: दिल की बातें दिल वाला ही समझे -२
( चंदा चाँदनी में जब चमके
क्या हो आ मिले जो कोई छम से
सोचो पूछते हो क्या हमसे ) -२