कोई ताज़ा हवा मन को छू गई तू बस तू - The Indic Lyrics Database

कोई ताज़ा हवा मन को छू गई तू बस तू

गीतकार - समीर | गायक - बाबुल सुप्रियो | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - | वर्ष - 2000

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कोई ताज़ा हवा मन को छू गई
मुझे ऐसा लगा जैसे तू गई
देखूं यहां देखूं वहां
चारों तरफ़ आए नज़र तू बस तू
कोई ताज़ा हवा ...तेरा नशा है खुमारी है
पूछो ना क्या बेकरारी है
तेरे बिना मेरी जान-ए-जां
मुश्किल है दिन रात भारी है
अब तो तेरे ख्याल में
धड़कनों के सवाल में तू बस तू
कोई ताज़ा हवा ...मेरी नज़र में नज़ारों में
तू है बसी चाँद तारों में
तेरा दुपट्टा महकता है
फूलों की महकी बहारों में
हर गली हर मकान में
इस ज़मीं आसमान में तू बस तू
कोई ताज़ा हवा ...