अंखियां गुलाबी जैसे मद की हैं प्यालियां - The Indic Lyrics Database

अंखियां गुलाबी जैसे मद की हैं प्यालियां

गीतकार - एहसान रिज़विक | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - बेकसूर | वर्ष - 1950

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ल : ( अँखियाँ गुलाबी जैसे
मद की हैं प्यालियाँ
मद की हैं प्यालियाँ
र : जागी हुई आँखों में
शरम की हैं लालियाँ
शरम की हैं लालियाँ ) -२ल : ( दिन हैं जवानी के
उल्फ़त की रातें ) -२
( तारों की छाँव में हैं
प्यार भरी बातें ) -२
सुलझी हुई लटों में
हो हो हो
सुलझी हुई लटों में
उलझ गईं बालियाँअँखियाँ गुलाबी जैसे
मद की हैं प्यालियाँ
मद की हैं प्यालियाँ
र : जागी हुई आँखों में
शरम की हैं लालियाँ
शरम की हैं लालियाँ( दुनिया मेरी आँखों में है
तेरे ख़याल की ) -२
( भरी हुई फूलों से है
झोली सवाल की ) -२
खिली हैं बहारों में
हो हो हो
खिली हैं बहारों में
फूलों की डालियाँअँखियाँ गुलाबी जैसे
मद की हैं प्यालियाँ
मद की हैं प्यालियाँ
ल : जागी हुई आँखों में
शरम की हैं लालियाँ
शरम की हैं लालियाँ( आधी-आधी रात कोई
काहे जगाये रे ) -२
नाज़ुक कलाई मोरी
बल खा ना जाये रे
आधी-आधी रात कोई
काहे जगाये रे
सुन-सुन ख़ुश हुये
हो हो हो
सुन-सुन ख़ुश हुये
मीठी-मीठी गालियाँअँखियाँ गुलाबी जैसे
मद की हैं प्यालियाँ
मद की हैं प्यालियाँ
र : जागी हुई आँखों में
शरम की हैं लालियाँ
शरम की हैं लालियाँ