आज नहीं तो कल बिखरेंगे ये बादल - The Indic Lyrics Database

आज नहीं तो कल बिखरेंगे ये बादल

गीतकार - प्रदीप | गायक - गीता दत्त | संगीत - अविनाश व्यास | फ़िल्म - नागमणि | वर्ष - 1950

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आज नहीं तो कल बिखरेंगे ये बादल
ओ रात के भूले हुए मुसाफ़िर सुबह हुई घर चल
अब घर चल रे

जीवन इक संग्राम है जोगी
जीवन से क्या डरना
भवसागर के जाल बिछे हैं
बच-बच पार निकलना
चिन्ता छोड़ सकल
तेरा जायेगा भाग्य बदल
ओ रात के भूले हुए मुसाफ़िर, सुबह हुई घर चल
अब घर चल रे

जोड़ ले फिर से टूटी ममता
बाँध ले प्रेम की डोरी
ज़िंदगानी से दूर भागना
है मन की कमज़ोरी
ये सब दुःख के पल
इक दिन जायेंगे टल
ओ रात के भूले हुए मुसाफ़िर, सुबह हुई घर चल
अब घर चल रे