वो चाँद चमका वो नूर छलका - The Indic Lyrics Database

वो चाँद चमका वो नूर छलका

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - लता, मुकेश | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - सन ऑफ सिंदबाद | वर्ष - 1958

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वो चाँद चमका वो नूर छलका
लो हल्का हल्का नशा छा रहा है
ये कैसा जादू मुझे सम्भालो
के मेरे हाथों से दिल जा रहा है
वो चाँद चमका वो नूर छलका
लो हल्का हल्का नशा छा रहा है
ये कैसा जादू मुझे सम्भालो
के मेरे हाथों से दिल जा रहा है
धड़कनें तेज़ सी हो गई
आज नज़रें कहीं खो गई )
क़दम क़दम पे मस्तियाँ
नज़र नज़र में शोख़ियाँ
ये चाँदनी में कौन छुप के आ रहा है
ये कैसा जादू मुझे सम्भालो
के मेरे हाथों से दिल जा रहा है
वो चाँद चमका वो नूर छलका
लो हल्का हल्का नशा छा रहा है
मौज तड़पे कि साहिल मिले
दिल ये चाहे कोई दिल मिले
मौज तड़पे कि साहिल मिले
दिल ये चाहे कोई दिल मिले
हमें तेरी है आरज़ू
हमें तेरी है जुस्तजू
घड़ी घड़ी ये दिल तुझे बुला रहा है
वो चाँद चमका वो नूर छलका
लो हल्का हल्का नशा छा रहा है
ये कैसा जादू मुझे सम्भालो
के मेरे हाथों से दिल जा रहा है$