शाम ए बहार आई करके सिंगार आई - The Indic Lyrics Database

शाम ए बहार आई करके सिंगार आई

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सहगान, सुरैया | संगीत - हुस्नलाल-भगतराम | फ़िल्म - शमा परवाना | वर्ष - 1954

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सु : शाम-ए-बहार आई
करके सिंगार आई
ख़ाबों के हार लाई
र : अब्र-ए-बहार छया
पैग़ाम-ए-यार लाया
दिल को क़रार लाया
सु : शाम-ए-बहार आई
करके सिंगार आई
ख़ाबों के हार लाईआया ख़ुशी का ज़माना
उल्फ़त ने छेड़ा तराना
र : होंठों पे दिल की हैं बातें
आईं मोहब्बत की रातें
सु : झुकने लगीं क्यूँ निगाहें
को : निगाहें
र : दिल से मिलीं दिल की राहें
को : राहें
सु : उनका पयाम आया
दिल का सलाम आया
होंठों पे ना-ए-ख़ुदा
किसका ये नाम आयासु : शाम-ए-बहार आई
करके सिंगार आई
ख़ाबों के हार लाई
र : अब्र-ए-बहार छया
पैग़ाम-ए-यार लाया
दिल को क़रार लायाउठेगी पलकों की चिलमन
बढ़ेगा उल्फ़त का दामन
सु : दिलों के ग़ुंचे खिलेंगे
मेरे मसीहा मिलेंगे
र : कमी है दर्द-ए-जिगर में
को : जिगर में
सु : हँसते हैं अरमाँ नज़र में
को : नज़र में
र : उनका पयाम आया
दिल का सलाम आया
होंठों पे ना-ए-ख़ुदा
किसका ये नाम आयासु : शाम-ए-बहार आई
करके सिंगार आई
ख़ाबों के हार लाई
र : अब्र-ए-बहार छया
पैग़ाम-ए-यार लाया
दिल को क़रार लाया