मैं तुम ही से पूछती हूँ, मुझे तुमसे प्यार क्यों है - The Indic Lyrics Database

मैं तुम ही से पूछती हूँ, मुझे तुमसे प्यार क्यों है

गीतकार - जां निसार अख्तर | गायक - लता मंगेशकर - मोहम्मद रफी | संगीत - एन. दत्ता | फ़िल्म - ब्लैक कैट | वर्ष - 1959

View in Roman

कोई इकरार करे, या कोई इन्कार करे
हम से एक बार निगाहें तो जरा चार करे
तुम हसीं हो तुम्हे सब दिल में जगह देते है
हम में क्या बात है ऐसी जो कोई प्यार करे
मैं तुम ही से पूछती हूँ, मुझे तुमसे प्यार क्यों है
कभी तुम दगा ना दोगे, मुझे ऐतबार क्यों है
मुझे क्यों पुकारती हैं ये जवां जवां फिजायें
मुझे मिल गई कहाँ से ये हसीं हसीं अदायें
मेरी ज़िंदगी पे छाई ये नई बहार क्यों है
जो कदम उठा रही हूँ वो कदम बहक रहा है
मिली तुमसे क्या निगाहें, मेरा दिल धड़क रहा है
मेरे दिल पे हाथ रख दो, तुम्हे इंतज़ार क्यों है
तुम ही सामने हो मेरे, मैं जिधर नज़र उठाऊँ
तुम्हे भूलना भी चाहूँ, तो कभी ना भूल पाऊँ
मेरे दिल पे हाए इतना तुम्हे इख़्तियार क्यों है