उमंगों को सखी पीई की नगरिया कैसे ले जाउन - The Indic Lyrics Database

उमंगों को सखी पीई की नगरिया कैसे ले जाउन

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता मंगेशकर, सहगान | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - अमर | वर्ष - 1954

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उमंगों को सखी पी की नगरिया कैसे ले जाऊँ
चोरुस: उमंगों को सखी पी की नगरिया कैसे ले जाऊँ
क़मर लचके मोरी
हाय क़मर लचके मोरी भारी गगरिया कैसे ले जाऊँ
चोरुस: क़मर लचके मोरी भारी गगरिया कैसे ले जाऊँडगर में रूप के लोभी नगर में मन के मैलें हैं
चोरुस: नगर में मन के मैलें हैं
यहाँ पापी नजरीयों के हज़ारों जाल फैलें हैं
चोरुस: हज़ारों जाल फैलें हैं
भरे बाज़ार में बाली उमरीया कैसे ले जाऊँ
क़मर लचके मोरी
चोरुस: हाय क़मर लचके मोरी भारी गगरिया कैसे ले जाऊँ
चोरुस: उमंगों को सखी पी की नगरिया कैसे ले जाऊँमोहे दुनिया से डर लागे यहाँ लाखों हैं मतवाले
चोरुस: यहाँ लाखों हैं मतवाले
न जाने कोइ अलबेला मोहे किस रंग में रंग डाले
चोरुस: मोहे किस रंग में रंग डाले
रंगीलों में भला कोरी चुनरिया कैसे ले जाऊँ
क़मर लचके मोरी
चोरुस: हाय क़मर लचके मोरी भारी गगरिया कैसे ले जाऊँ
चोरुस: उमंगों को सखी पी की नगरिया कैसे ले जाऊँलगा के हाथों में मेहंदी रचा के नैनों में रतिया
चोरुस: रचा के नैनों में रतिया
दुलहनीया बनके निकली हुं मिलेंगे आज मन बसिया
चोरुस: मिलेंगे आज मन बसिया
सजन के द्वार से प्यासी नजरिया कैसे ले जाऊँ
क़मर लचके मोरी
चोरुस: हाय क़मर लचके मोरी भारी गगरीया कैसे ले जाऊँ
चोरुस: उमंगों को सखी पी की नगरिया कैसे ले जाऊँ