मैं टूटी हुई एक नैया हूँ - The Indic Lyrics Database

मैं टूटी हुई एक नैया हूँ

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - आदमी | वर्ष - 1968

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मैं टूटी हुई एक नैया हूँ
मुझे चाहे जिधर ले जाओ
जी चाहे डूबों दो मौजों में
या साहील पर ले जाओ
एक तुम ही सहारा हो मेरा
जीवन की अंधेरी रातों में
दुनिया की खुशी, तकदीर का ग़म
सबकुछ है तुम्हारे हाथों में
अब चाहे इधर ले जाओ मुझे
या चाहे उधर ले जाओ
मायूस नज़र, मजबूर कदम
उजड़ा हुआ आलम है दिल का
जीना भी ये कोई जीना है
मुँह देख सकूँ ना मंज़िल का
बीते हुए दिन मिल जाए जहाँ
मुझे ऐसी डगर ले जाओ
आँसू ना बहाओ मेरे लिए
ग़म मुझको अकेले सहने दो
टूटे ना तुम्हारा नाज़ूक दिल
ये दर्द मुझ ही तक रहने दो
अब छोड़ दो मुझ को राहों में
या दूर नगर ले जाओ