आँखों में तुम्हारे जलवे हैं - The Indic Lyrics Database

आँखों में तुम्हारे जलवे हैं

गीतकार - सबा अफगानी | गायक - रफी | संगीत - एस मोहिंदर | फ़िल्म - शिरीन फरहाद | वर्ष - 1956

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आँखों में तुम्हारे जलवे हैं-2 होंठों पे तुम्हारे अफ़साने
बेताबी-ए-दिल से तंग आकर पहुँचे हैं यहाँ तक दीवाने

सहारा बेक़सों का है यही इन्साफ़ का घर है
कोई भी हो यहाँ पर मरतबा सबका बराबर है
यहाँ से मांगने वाला कभी खाली नहीं जाता
जहाँ बिगड़ी हुई तक़दीर बनती है ये वो दर है
तक़दीर के कब तक ज़ुल्म सहें तुमसे न कहें तो किससे कहें-2
ये दर्द-ए-मोहब्बत क्या शै है बेदर्द ज़माना क्या जाने
बेताबी-ए-दिल से तंग ...

तुम्हारी आस्ताने से जो हम नाक़ाम जाएँगे
गुज़रती है जो इस दिल पर वो रो-रो के सुनाएँगे
या दिल की कली अब खिल जाए या ख़ाक़ में हस्ती मिल जाए-2
ऐ शमा तेरे जलवों की क़सम जलकर ही रहेंगे परवाने
बेताबी-ए-दिल से तंग ...$