पहचान तो थी, पहचाना नहीं - The Indic Lyrics Database

पहचान तो थी, पहचाना नहीं

गीतकार - गुलजार | गायक - चंद्रानी मुखर्जी | संगीत - कानू रॉय | फ़िल्म - गृह प्रवेश | वर्ष - 1979

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पहचान तो थी, पहचाना नहीं
मैंने अपने आपको जाना नहीं
जब धूप बरसती है सर पे
तो पाँव में छाँव खिलती है
मैं भूल गई थी छाँव अगर मिलती है, तो धूप में मिलती है
इस धूप और छाँव के खेल में क्यों, जीने का इशारा समझा नहीं
मैं जागी रही कुछ सपनों में
और जागी हुई भी सोई रही
जाने किन भूल भुलय्या में, कुछ भटकी रही कुछ खोई रही
जीने के लिए मैं मरती रही, जीने का इशारा समझा नहीं