जलाकर आग दिल में - The Indic Lyrics Database

जलाकर आग दिल में

गीतकार - वाहिद कुरैशी | गायक - एस डी बातीश | संगीत - एस डी बातीश | फ़िल्म - तूफ़ान | वर्ष - 1954

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जलाकर आग दिल में, ज़िन्दगी बरबाद करते हैं
न हँसते हैं, न रोते हैं, न कुछ फ़रियाद करते हैं
उम्मीदें, हसरत-ओ-अरमान, सब अपना लिए दिल में
लिए बरबादियाँ अब, रंज-ओ-ग़म आबाद करते हैं
न हँसते हैं
रहें मजबूरियाँ अपनी, रहें बरबादियाँ अपनी
हम अपने आशिया को, आप ही बरबाद करते हैं
न हँसते हैं
नहीं अपनी कोई मंज़िल, कहाँ जाएं, किधर जाएं
सहारा मौत का है, मौत को अपना करते हैं
न हँसते हैं