जब दिल चुराए कोई दिल सोचाता है और रोता है ज़ार ज़ार - The Indic Lyrics Database

जब दिल चुराए कोई दिल सोचाता है और रोता है ज़ार ज़ार

गीतकार - प्रवीण भारद्वाज | गायक - अलका याज्ञनिक, बाबुल सुप्रियो | संगीत - आनंद राज आनंद | फ़िल्म - गुनाह: | वर्ष - 2002

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जब दिल चुराए कोई अपना बनाए कोई
सपने दिखाए और हो जाए फिर जुदा
चाहत के सब अफ़साने दिल जिनको सच ही माने
बनके वो रह जाते हैं इक अनसुनी सदा
ओ क्यूँ देखे हमने चाहत के सपने
दिल सोचता है और रोता है ज़ार ज़ार
जब दिल चुराए ...ये दूरियाँ दिल की मजबूरियाँ दिल की
सच है मगर फिर भी माने ना दिल मेरा
भीगी सी आँखों में सूनी सी राहों में
हम ले चले हैं कितनी यादों का कारवाँ
हो अब मन ही मन में दीवानेपन में
दिल सोचता है और रोता है ज़ार ज़ार
जब दिल चुराए ...दिल में तमन्ना है दिल में इरादे हैं
ख्वाबों के मेले लेकर जाएँ भी तो कहाँ
कुछ तुम न कह सके कुछ हम न कह सके
जाने क्यूँ हो जाती है खामोश ये ज़ुबां
हो क्या दिल को हो गया है क्या दिल का खो गया है
दिल सोचता है और रोता है ज़ार ज़ार
जब दिल चुराए ...