जब से मैं ने दिल लगाया दिल कहीं लगता नहीं - The Indic Lyrics Database

जब से मैं ने दिल लगाया दिल कहीं लगता नहीं

गीतकार - असद भोपाली | गायक - तलत, मधुबाला ज़वेरि | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - दोस्त | वर्ष - 1954

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जब से मैं ने दिल लगाया दिल कहीं लगता नहीं
ऐ मुहब्बत वो जहाँ हैं तू मुझे ले चल वहीं
ले के जाऊँ मैं कहाँ रुसवाईओं का काफ़िला,
हाये काफ़िला, हाये काफ़िला
ख़त्म होगा जाने किस दिन दो दिलों का फ़ासला,
हाये फ़ासला, हाये फ़ासला
आरज़ूएं दिल की सारी ख़ाक हो कर रह गईं
जब से मैं ने दिल लगाया दिल कहीं लगता नहीं
जी ना रोने से बहलता है न अब फ़रियाद से,
फ़रियाद से, फ़रियाद से
दिल का ग़म कुछ और बढ़ जाता है उन की याद से,
हाये याद से, हाये याद से
और उन को भूल जाना भी मेरे बस में नहीं
ऐ मुहब्बत वो जहां हैं तू मुझे ले चल वहीं
मुझ से किस्मत भी ख़फ़ा है, और वो भी हैं जुदा,
हाये हैं जुदा, हाये हैं जुदा
प्यार की पहली किरन चमकी तो सूरज ढल गया,
हाये ढल गया, हाये ढल गया
मेरी दुनिया में अंधेरे के सिवा कुछ भी नहीं
जब से मैं ने दिल लगाया दिल कहीं लगता नहीं