उल्फ़त के हैं काम निराले - The Indic Lyrics Database

उल्फ़त के हैं काम निराले

गीतकार - ज़िया सरहदी | गायक - लता | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - आवाज़ | वर्ष - 1956

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हस्रत-ओ-यास को ले कर शब-ए-ग़म आई है
भीड़ की भीड़ है, तनहाई ही तनहाई है
उल्फ़त के हैं काम निराले
बन बन के बिगड़ जाते हैं
क़िस्मत में न हो तो साथी
मिल मिल के बिछड़ जाते हैं
उल्फ़त के हैं ...
उम्मीदें भी हैं इक सपना
दुनिया में नहीं कुच अपना
आँसू हैं तो बह जाते हैं
अरमाँ है तो ? जाते हैं
उल्फ़त के हैं ...
आवाज़ उठी है दिल से
बेदर्द ज़माने सुन ले
कल तू भी उजड़ जायेगा
हम आज उजड़ जाते हैं
उल्फ़त के हैं ... $